नवरात्रि की पूरी जानकारी, कहानी, तथ्य, नाम, 9 दिन पूजा विधि, मंत्र, लाभ, नियम और अनुशासन सहित पूरा आलेख।

परिचय
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हर साल दो बार, एक बार शारदीय नवरात्रि (सर्दियों में) और एक बार ग्रीष्म नवरात्रि (वसंत ऋतु में) मनाया जाता है। नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक चलता है और यह विशेष रूप से शक्ति की देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना का समय होता है। इन नौ दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों का पूजन कर उनकी उपासना की जाती है। इस दौरान उपवासी रहकर विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है।
नवरात्रि की कहानी
नवरात्रि के पर्व का आरंभ देवी दुर्गा के महान युद्ध के साथ जुड़ा हुआ है। पुराणों के अनुसार, राक्षसों का राजा महिषासुर ने देवताओं के आकाशलोक को अपने कब्जे में कर लिया था और उनके ऊपर अत्याचार शुरू कर दिया था। सभी देवताओं ने मिलकर देवी पार्वती से सहायता मांगी और महिषासुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा का अवतार लिया। देवी दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन और रातों तक युद्ध किया और अंत में उसकी हत्या कर उसे पराजित किया।
इस महान विजय की याद में हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ये नौ दिन न केवल शक्ति और विजय के प्रतीक हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता, संघर्ष और धार्मिक आस्था की भावना को भी प्रेरित करते हैं।
नवरात्रि के 9 दिन और देवी के नौ रूप
नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी के एक विशेष रूप की पूजा होती है, और इस प्रकार नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। ये रूप निम्नलिखित हैं:
1. प्रथम दिन (शैलपुत्री): पहले दिन की पूजा देवी शैलपुत्री की होती है, जो पर्वतों की देवी और हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं। शैलपुत्री के दर्शन से व्यक्ति का जीवन खुशहाल और समृद्ध होता है।
2. द्वितीय दिन (ब्राह्मचारिणी): दूसरे दिन की पूजा देवी ब्राह्मचारिणी की होती है। वे तपस्या और योग की देवी हैं। उनकी उपासना से मनुष्य की आत्मा को शुद्धि मिलती है और उसकी समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
3. तृतीय दिन (चन्द्रघण्टा): तीसरे दिन देवी चन्द्रघण्टा की पूजा होती है। यह रूप युद्ध में कष्ट और पीड़ा सहने के प्रतीक हैं। इनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
4. चतुर्थ दिन (कुष्मांडा): चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। देवी कुष्मांडा सृष्टि की उत्पत्ति की देवी हैं। उनकी उपासना से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का आगमन होता है।
5. पंचम दिन (स्कन्दमाता): पांचवे दिन देवी स्कन्दमाता की पूजा की जाती है। ये भगवान स्कन्द (क kartikeya) की माता हैं। इनकी पूजा से मानसिक और शारीरिक बल मिलता है।
6. षष्ठम दिन (कात्यायनी): छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा होती है। ये राक्षसों से युद्ध करने के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी पूजा से व्यक्ति की सारी परेशानियां दूर होती हैं।
7. सप्तम दिन (कालरात्रि): सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा होती है। यह रूप अत्यधिक शक्तिशाली और उग्र है। इनकी पूजा से व्यक्ति के जीवन से सभी भय और नकारात्मकताएं दूर होती हैं।
8. अष्टम दिन (महागौरी): आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा होती है। यह रूप सौंदर्य, शक्ति और शांति का प्रतीक हैं। इनकी पूजा से जीवन में हर प्रकार की खुशियाँ और समृद्धि आती है।
9. नवम दिन (सिद्धिदात्री): नवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है। यह रूप सिद्धियों और धार्मिक ज्ञान की देवी हैं। इनकी उपासना से हर प्रकार की सफलता प्राप्त होती है।
नवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के दौरान पूजा का विशेष महत्व है। पूजा विधि निम्नलिखित है:
1. स्नान और शुद्धि: नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध मानसिकता के साथ पूजा प्रारंभ करें।
2. कलश स्थापना: पहले दिन एक कलश रखें और उसमें जल, सुपारी, आंवला और दूर्वा रखें। इसके ऊपर एक नारियल रखें और कलश के पास देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
3. मंत्र जाप: नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी के मंत्रों का जाप करें। “ॐ दुं दुर्गायै नमः” और “ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” जैसे मंत्र विशेष रूप से प्रभावशाली होते हैं।
4. हवन और अर्चना: पूजा के दौरान हवन और दीप जलाकर देवी की उपासना करें। देवी के विभिन्न रूपों के अनुसार फूल, फल, और नैवेद्य अर्पित करें।
5. उपवासी रहना: नवरात्रि के दौरान व्रत और उपवासी रहना उत्तम माना जाता है। शुद्ध आहार का सेवन करें और मांसाहार, शराब आदि से दूर रहें।
नवरात्रि के लाभ
1. आध्यात्मिक उन्नति: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की उपासना से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
2. शक्तिशाली आंतरिक स्थिति: देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करने से व्यक्ति के भीतर शक्ति का संचार होता है, जो उसे जीवन के विभिन्न संघर्षों से निपटने में मदद करता है।
3. सकारात्मकता का प्रवाह: नवरात्रि में पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, और घर के सभी सदस्य खुशहाल रहते हैं।
4. स्वास्थ्य और समृद्धि: उपवासी रहकर शुद्ध आहार का सेवन करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के नियम और अनुशासन
1. व्रत और उपवासी: नवरात्रि में व्रत रखना और उपवासी रहना एक महत्वपूर्ण नियम है। इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता और मानसिक शुद्धता को बढ़ावा देना है।
2. शुद्ध आहार: नवरात्रि में विशेष रूप से शुद्ध आहार का सेवन किया जाता है। मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
3. साधना और ध्यान: नवरात्रि के दौरान ध्यान और साधना का अभ्यास करना चाहिए। यह आत्मा की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
4. समय का पालन: नवरात्रि में विशेष समय पर पूजा, जाप और हवन करना चाहिए। प्रातः काल में पूजा करना सबसे प्रभावी होता है।
सरसरी नजर में।
नवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि, मानसिक शांति और शक्ति के रूप में एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से व्यक्ति को शांति, समृद्धि, और शक्ति प्राप्त होती है। नवरात्रि का सही तरीके से पालन करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।