भारत और पाकिस्तान : रणनीति, इतिहास, वर्तमान स्थिति और सैन्य ताकत का तथ्यात्मक विश्लेषणभारत और पाकिस्तान के बीच संबंध विश्व के सबसे जटिल और संवेदनशील भू-राजनीतिक मुद्दों में से एक हैं। 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन से उत्पन्न दोनों देशों की प्रतिद्वंद्विता ने क्षेत्रीय स्थिरता, रणनीति और सैन्य विकास को गहराई से प्रभावित किया है। यह लेख भारत और पाकिस्तान के रणनीतिक इतिहास, वर्तमान स्थिति और उनकी सैन्य ताकत का एक तथ्यात्मक और गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

जो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विभाजनभारत और पाकिस्तान का निर्माण1947 में ब्रिटिश भारत का विभाजन भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के तहत हुआ, जिसके परिणामस्वरूप दो स्वतंत्र देश बने: भारत और पाकिस्तान। यह विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ, जहां भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राष्ट्र बना, और पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य के रूप में उभरा। इस प्रक्रिया में पंजाब और बंगाल प्रांतों को हिंदू और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के आधार पर विभाजित किया गया, जिसके कारण बड़े पैमाने पर जनसंख्या विस्थापन और हिंसा हुई। अनुमानित 5 लाख से 30 लाख लोग दंगों और यात्रा की कठिनाइयों में मारे गए।विभाजन की रणनीतिक जड़ेंविभाजन के पीछे ब्रिटिश साम्राज्य की रणनीति थी, जिसका उद्देश्य उपमहाद्वीप में अपनी शक्ति को बनाए रखना और सामरिक हितों को सुरक्षित करना था।
ब्रिटिश सरकार ने जल्दबाजी में सीमा निर्धारण किया, जिसके लिए रैडक्लिफ आयोग बनाया गया। इस आयोग ने सीमाओं को ठीक करने में स्थानीय जटिलताओं को नजरअंदाज किया, जिसके परिणामस्वरूप कश्मीर और जूनागढ़ जैसे विवाद उत्पन्न हुए।कश्मीर: विवाद का केंद्रकश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा रणनीतिक विवाद रहा है। 1947 में, जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसे पाकिस्तान ने स्वीकार नहीं किया।
इसके परिणामस्वरूप 1947-48 का पहला भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ, जिसके बाद कश्मीर का दो-तिहाई हिस्सा भारत के पास और एक-तिहाई हिस्सा (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) पाकिस्तान के नियंत्रण में रहा। 1994 में भारतीय संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत का अभिन्न अंग है।
रणनीतिक इतिहास: युद्ध और समझौतेप्रमुख युद्धभारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से 1999 तक चार बड़े युद्ध हुए:1947-48 का युद्ध: कश्मीर पर नियंत्रण के लिए पहला युद्ध, जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (LoC) स्थापित हुई। भारत ने कश्मीर के दो-तिहाई हिस्से पर नियंत्रण प्राप्त किया।1965 का युद्ध: पाकिस्तान द्वारा ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत कश्मीर में घुसपैठ के प्रयास के बाद यह युद्ध हुआ। यह युद्ध गतिरोध में समाप्त हुआ, और ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
1971 का युद्ध: यह युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में स्वतंत्रता संग्राम के कारण हुआ। भारत की निर्णायक जीत के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।1999 का कारगिल युद्ध: पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों द्वारा कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने के बाद यह सीमित युद्ध हुआ। भारत ने ऑपरेशन विजय के तहत क्षेत्र को पुनः प्राप्त किया।प्रमुख समझौतेसिंधु जल समझौता (1960): इस समझौते के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को और सतलुज, रावी और ब्यास नदियों का पानी भारत को आवंटित किया गया। हालांकि, पाकिस्तान ने भारत पर पानी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
शिमला समझौता (1972): 1971 के युद्ध के बाद इस समझौते ने युद्धबंदियों की वापसी और द्विपक्षीय मुद्दों को बातचीत से सुलझाने पर जोर दिया।लाहौर घोषणा (1999): कारगिल युद्ध से पहले, भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पाकिस्तान यात्रा के बाद यह घोषणा परमाणु युद्ध के जोखिम को कम करने के लिए की गई।वर्तमान स्थिति: रणनीति और तनावकश्मीर और आतंकवाद2019 में भारत ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया, जिसके तहत राज्य को विशेष दर्जा प्राप्त था। इस कदम ने पाकिस्तान के साथ तनाव को और बढ़ा दिया। पाकिस्तान ने इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, पर उठाया, लेकिन भारत ने इसे अपना आंतरिक मामला बताया।पाकिस्तान पर भारत द्वारा सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया जाता है।
2016 के उरी और 2019 के पुलवामा हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हवाई हमले किए।कूटनीति और व्यापारभारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार सीमित है। 2018-19 में भारत का पाकिस्तान को निर्यात 2.06 बिलियन डॉलर था, जबकि आयात केवल 495 मिलियन डॉलर। हाल के वर्षों में, भारत ने पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) दर्जे को वापस लिया और आयात पर 200% शुल्क लगाया।परमाणु क्षमताभारत ने 1974 और पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु परीक्षण किए। दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं, जो पूर्ण युद्ध को जोखिम भरा बनाता है।
ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारत चौथे और पाकिस्तान 12वें स्थान पर है।भारत और पाकिस्तान की सैन्य ताकतभारतसैन्य बल: भारत की सेना में 14.5 लाख सक्रिय सैनिक हैं। इसका रक्षा बजट 2025 में 76.6 बिलियन डॉलर है।वायु सेना: भारत के पास 2,000 से अधिक लड़ाकू विमान हैं, जिनमें राफेल, सुखोई-30 और स्वदेशी तेजस शामिल हैं। नौसेना: भारत की नौसेना में 150 से अधिक जहाज और पनडुब्बियां हैं, जिनमें विमानवाहक पोत INS विक्रांत शामिल है। परमाणु क्षमता: भारत के पास 160-170 परमाणु हथियार हैं, और इसका मिसाइल कार्यक्रम (अग्नि-V, पृथ्वी) मजबूत है।तकनीकी विकास: भारत ड्रोन, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निवेश कर रहा है। इसरो का मिशन मंगल और चंद्रयान इसकी तकनीकी क्षमता को दर्शाते हैं।
पाकिस्तानसैन्य बल: पाकिस्तान की सेना में लगभग 6.5 लाख सक्रिय सैनिक हैं। इसका रक्षा बजट लगभग 10 बिलियन डॉलर है।वायु सेना: पाकिस्तान के पास 1,300 विमान हैं, जिनमें JF-17 थंडर और F-16 शामिल हैं।नौसेना: पाकिस्तान की नौसेना में 100 से अधिक जहाज हैं, जिनमें चीनी निर्मित फ्रिगेट और पनडुब्बियां शामिल हैं।
परमाणु क्षमता: पाकिस्तान के पास 170-180 परमाणु हथियार हैं, और इसका मिसाइल कार्यक्रम (बाबर, शाहीन) प्रभावी है।आतंकवाद पर निर्भरता: पाकिस्तान की रणनीति में गैर-राज्य अभिनेताओं (जैसे लश्कर-ए-तैयबा) का उपयोग शामिल है, जो भारत के लिए चुनौती है।रणनीतिक तुलनाभारत की रणनीतिवैश्विक प्रभाव: भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, जो क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और G20 जैसे मंचों में सक्रिय है।आर्थिक विकास: भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 4 ट्रिलियन डॉलर की है, जो इसे क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव देती है।कूटनीतिक दबाव: भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई है।
पाकिस्तान की रणनीतिचीन पर निर्भरता: पाकिस्तान का चीन के साथ मजबूत रणनीतिक गठजोड़ है, विशेष रूप से CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के माध्यम से।आतंकवाद का उपयोग: पाकिस्तान की नीति में भारत के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध शामिल है, जिसने उसे वैश्विक मंचों पर आलोचना का सामना करना पड़ा।आर्थिक संकट: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर है, और यह IMF बेलआउट पर निर्भर है।भविष्य की संभावनाएंभारत और पाकिस्तान के बीच शांति की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है:बातचीत: दोनों देशों को कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर संवाद बढ़ाना होगा।
आर्थिक सहयोग: व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग (जैसे SAARC) से तनाव कम हो सकता है।वैश्विक दबाव: अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका और चीन, दोनों देशों को संयम बरतने के लिए प्रेरित कर सकता है।निष्कर्षभारत और पाकिस्तान के बीच संबंध ऐतिहासिक, राजनीतिक और रणनीतिक जटिलताओं से भरे हुए हैं। भारत की सैन्य और आर्थिक ताकत इसे क्षेत्रीय प्रभुत्व देती है, जबकि पाकिस्तान अपनी रणनीति में चीन और प्रॉक्सी युद्ध पर निर्भर है।
दोनों देशों के पास परमाणु हथियार होने के कारण पूर्ण युद्ध का जोखिम अधिक है, जिससे कूटनीति और संवाद ही एकमात्र रास्ता है। भविष्य में, क्षेत्रीय स्थिरता के लिए दोनों देशों को विश्वास-निर्माण और सहयोग पर ध्यान देना होगा।मुख्य खोजशब्द: भारत-पाकिस्तान संबंध, कश्मीर विवाद, भारत-पाकिस्तान युद्ध, सिंधु जल समझौता, परमाणु क्षमता, सैन्य ताकत, कारगिल युद्ध, शिमला समझौता, आतंकवाद, रणनीतिक इतिहास।
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